ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
झुकाकर पलकें शायद कोई इकरार किया उसने,
तुम्हारे लब को छूने का इरादा रोज करता हूँ,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
रास्तों की उलझन में था हमसफर भी छोड़ गए।
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
महफ़िल में रह के भी रहे तन्हाइयों में हम,
ख्यालों और सांसों का हिसाब है ज़िन्दगी,
जिंदगी के एक झोंके से सारे पन्ने पलट गए,
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
बेचैन दिल को सुकूं की तलाश में दर-ब-दर shayari in hindi तो न कर,
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता,